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हिर॑ण्यत्व॒ङ्मधु॑वर्णो घृ॒तस्नुः॒ पृक्षो॒ वह॒न्ना रथो॑ वर्तते वाम्। मनो॑जवा अश्विना॒ वात॑रंहा॒ येना॑तिया॒थो दु॑रि॒तानि॒ विश्वा॑ ॥३॥

English Transliteration

hiraṇyatvaṅ madhuvarṇo ghṛtasnuḥ pṛkṣo vahann ā ratho vartate vām | manojavā aśvinā vātaraṁhā yenātiyātho duritāni viśvā ||

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Pad Path

हिर॑ण्यऽत्वक्। मधु॑ऽवर्णः। घृ॒तऽस्नुः॑। पृक्षः॑। वह॑न्। आ। रथः॑। व॒र्त॒ते॒। वा॒म्। मनः॑ऽजवाः। अ॒श्वि॒ना॒। वात॑ऽरंहाः। येन॑। अ॒ति॒ऽया॒थः। दुः॒ऽइ॒तानि॑। विश्वा॑ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:77» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:4» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:6» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर मनुष्यों को क्या करना चाहिये, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अश्विना) शिल्पविद्या के जाननेवालो ! (वाम्) आप दोनों का (हिरण्यत्वक्) तेज और सुवर्ण के सदृश त्वचा पर का वर्ण और (मधुवर्णः) देखने योग्य वर्ण जिसका वह (घृतस्नुः) जल को शुद्ध करनेवाला (पृक्षः) अन्न आदि को (वहन्) प्राप्त होता वा प्राप्त कराता हुआ (रथः) विमान आदि वाहन को (आ, वर्त्तते) सब प्रकार वर्त्तमान है और जिसको (मनोजवाः) मन के सदृश वेगवाले (वातरंहाः) वायु के सदृश वेगयुक्त अग्नि आदि पदार्थ प्राप्त होते हैं और (येन) जिस रथ से (विश्वा) सम्पूर्ण (दुरितानि) दुःख से प्राप्त होने योग्य स्थानान्तरों को (अतियाथः) अत्यन्त प्राप्त होते हैं, उसको आप दोनों रचिये ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य विमानादिकों को अग्नि और जलादिकों से चलावें तो वे विमान आदि मन और वायु के सदृश शीघ्र जा कर लौट आवें ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्मनुष्यैः किं कर्त्तव्यमित्याह ॥

Anvay:

हे अश्विना ! वां हिरण्यत्वङ् मधुवर्णो घृतस्नुः पृक्षो वहन् रथ आ वर्त्तते यं मनोजवा वातरंहा वहन्ति येन विश्वा दुरितान्यतियाथस्तं युवां रचयेतम् ॥३॥

Word-Meaning: - (हिरण्यत्वक्) हिरण्यं तेजः सुवर्णं चेव त्वगुपरिवर्णं यस्य सः। (मधुवर्णः) मधुर्द्रष्टव्यो वर्णो यस्य सः (घृतस्नुः) यो घृतमुदकं स्नाति (पृक्षः) अन्नादिकम् (वहन्) प्राप्नुवन् प्रापयन् वा (आ) (रथः) विमानादियानम् (वर्त्तते) (वाम्) युवयोः (मनोजवाः) मन इव वेगवन्तः (अश्विना) शिल्पविद्याविदौ (वातरंहाः) वायुवद्वेगवन्तोऽग्न्यादयः (येन) रथेन (अतियाथः) अत्यन्तं गच्छन्तः (दुरितानि) दुःखैनैतुं प्राप्तुं योग्यानि स्थानान्तराणि (विश्वा) सर्वाणि ॥३॥
Connotation: - यदि मनुष्या विमानादियानान्यग्न्युदकादिभिश्चालयेयुस्तर्ह्येतानि मनोवद्वायुवच्छीघ्रं गत्वाऽऽगच्छेयुः ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी अग्नी व जल इत्यादींनी विमान चालविले तर मन व वायुप्रमाणे तात्काळ जाणे-येणे करता येते. ॥ ३ ॥